भाजपा के अंकगणित को कांग्रेस के पक्ष में लाने का प्रयास
खिलावन चंद्राकर
भोपाल 9 जून ,राज्यसभा चुनाव को लेकर प्रदेश की सियासत में सरगर्मियां लगातार तेज होती जा रही है। आगामी 19 जून को मध्य प्रदेश के तीन खाली हो चुकी राज्यसभा सीटों के लिए मतदान होना है। विधानसभा में मौजूदा विधायकों की संख्या बल के आधार पर माना जा रहा है कि 2 सीटों पर सत्तारूढ़ भाजपा जबकि एकमात्र सीट पर पूर्व की तरह कांग्रेस प्रत्याशी का पहुंचना सुनिश्चित है । इस लिहाज से ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी दोनों भाजपा और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कांग्रेस का राज्यसभा में पहुंचना निश्चित माना जा रहा है। लेकिन बसपा और सपा के साथ ही निर्दलीय विधायकों के रुख से कुछ महत्वपूर्ण समीकरण के बदलाव की उम्मीद कांग्रेस के शीर्ष नेता करने लगे हैं। लेकिन यह तभी संभव है जब भाजपा के भी कुछ विधायक क्रास वोटिंग के लिए तैयार होते हैं। यदि जोड़-तोड़ से कोई बड़ा उलटफेर हुआ तो कांग्रेश के दूसरे प्रत्याशी फूल सिंह बरैया के लिए संसद के उच्च सदन का दरवाजा खुल सकता है।
 यहां यह माना जा रहा है कि कांग्रेस से निकलकर भाजपा में आए पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण भाजपा में पहले से सम्मान प्राप्त कर रहे कुछ नेताओं और विधायकों की पूछ परख अब कम होने लगी है। ऐसी दशा में वह कोई नया राजनीतिक समीकरण तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने लगे तो कोई आश्चर्यजनक बात नहीं हो सकती। ऐसी दशा में राज्यसभा की तीसरी सीट को लेकर सस्पेंस बरकरार हो सकता है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों को अभी यह तय करना है कि उनकी पहली और दूसरी वरीयता क्या है । पूरा गणित इसी पर आधारित है। इसे लेकर कांग्रेस विधायक दल की बैठक आगामी 17 जून को होने वाली है किंतु भाजपा की ओर से अभी तक अपने विधायको के बैठक को लेकर कोई तैयारी नहीं हुई है।
राज्यसभा चुनाव को लेकर जारी इस राजनीतिक उठापटक के बीच सपा और बसपा विधायक राजेश शुक्ला बब्लू ओर संजीव कुशवाह का राज्यसभा चुनाव को लेकर बड़ा बयान सामने आया है जिसमें दोनों विधायकों ने कहा है कि उनकी पार्टी हाइकामन जो तय करेगी उसको वोट करेंगे। बता दें कि प्रदेश में सपा के एक और बसपा के दो विधायक के साथ ही चार निर्दलीय विधायकों की ताकत है जो किसी भी बड़े राजनीतिक उलटफेर के लिए सक्षम माने जाते हैं। इनमें से कुछ विधायक मौजूदा शिवराज सिंह की भाजपा सरकार में मंत्री बनने के मंसूबे पाले हुए थे किंतु भाजपा विधायकों और कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पूर्व विधायको के बीच मंत्रिमंडल में जगह बनाने के लिए मची मारामारी के बीच उनकी यह तमन्ना धरी की धरी दिखाई देने लगी है। सपा और बसपा के दोनों ही विधायकों ने फिर कहा कि विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दौरान अपने अपने क्षेत्र की विकास के लिए बीजेपी को  समर्थन दिया था।
यह भी तथ्य सामने आया है कि राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के दिग्गज नेता सपा और बसपा विधायक के संपर्क में है और बसपा सुप्रीमो मायावती एवं सपा प्रमुख अखिलेश यादव से उनकी लगातार बातचीत चल रही है। प्रदेश के कुछ कांग्रेसी नेताओं को निर्दलीय विधायको से बातचीत करने के लिए भी अधिकृत किया गया है । यह विधायक कमलनाथ सरकार के दौरान सत्तारूढ़ पार्टी को अपना समर्थन दे रहे थे और सभी कांग्रेस से बागी होकर चुनाव लड़े और जीते हैं।जबकि कुछ पूर्व मंत्रियों को ऐसे विधायकों से नियमित रूप से बातचीत करने और मेल  मुलाकात बढ़ाने को कहा गया है जो पूर्व में ही कमलनाथ सरकार के दौरान कांग्रेस नेताओं से लगातार संपर्क बढ़ा रहे थे किंतु अब भाजपा की सरकार बनने के बाद चुप्पी साधे हुए हैं। ऐसे विधायकों की संख्या भी पांच से छह बताई जा रही है।
 दिग्विजय ने फेंका पासा
    राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा  के प्रत्याशी दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश की राजनीति बिछात में फिर एक पासे की बड़ी चाल चल दी है। उन्होंने कहा  प्रदेश के मरहूम पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी ईमानदार राजनेता थे और उनका पुत्र भी उतना ही ईमानदार है। उनका यह बयान उस समय आया है जब  क्षेत्र में विधानसभा उपचुनाव होने हैं और भाजपा की टिकट नहीं मिलने की संभावनाओं को लेकर पूर्व मंत्री दीपक जोशी का बगावती रुख दिखाई दे रहा है। दिग्विजय सिंह के इस बयान पर दीपक जोशी ने उनका धन्यवाद किया और कहा कि लगातार राजनीतिक पतन हो रहा है । ऐसे समय में यह बयान महत्वपूर्ण है।

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